India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |शुक्रवार जनवरी 17, 2020 04:45 PM IST राष्ट्रपति और राज्यपाल की दया याचिका की शक्ति की न्यायिक समीक्षा भी हो सकती है. संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 के तहत शक्तियों के प्रयोग पर न्यायिक समीक्षा की सीमाओं को संविधान पीठ द्वारा मारू राम बनाम भारत संघ मामले में सीमित कर दिया गया था. यह कहा गया था कि संवैधानिक शक्ति सहित सभी सार्वजनिक शक्ति को मनमाने ढंग से या दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं किया जाना चाहिए. पीठ ने इस बात पर जोर दिया था कि "शक्ति सबसे महान क्षण है, स्वयं के लिए कोई कानून नहीं हो सकता है लेकिन इसे संवैधानिकता के महीन सिद्धांत द्वारा सूचित किया जाना चाहिए.