Blogs | रवीश कुमार |रविवार अक्टूबर 6, 2019 08:16 AM IST यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है. मामला सुप्रीम कोर्ट में था तो कैसे पेड़ काटे गए. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामला था तो पेड़ कैसे काटे गए. क्या अब से फांसी की सज़ा हाईकोर्ट के बाद ही दे दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में अपील का कोई मतलब नहीं रहेगा? वहां चल रही सुनवाई का इंतज़ार नहीं होगा? आरे के पेड़ों को इस देश की सर्वोच्च अदालत का भी न्याय नहीं मिला. उसके पहले ही वे काट दिए गए. मार दिए गए.