Blogs | दयाशंकर मिश्र |सोमवार अगस्त 22, 2016 01:01 PM IST सिंधु जीत गईं. अब फाइनल चाहे जो हो, वे भारतीय लड़कियां जो हमारे सड़े-गले रिवाजों और बासी विचारों की रोज भेंट चढ़ रही हैं, के लिए तो वह फाइनल में पहुंचते ही जीत गईं थीं. महिलाओं के लिए ‘कठिन’ जिस भारतीय समाज से सिंधु आती हैं, वहां से ओलिंपिक का सोना तो सपना ही लगता रहा है. हम मानें या न मानें, लेकिन हमारी बेटियों को हमारे ही देश में निचले दर्जे की नागरिकता हासिल है.