Literature | Reported by: अमितेश कुमार, Edited by: सूर्यकांत पाठक |सोमवार मई 29, 2017 08:10 PM IST कलाकार को किसके साथ होना चाहिए- विचार के साथ, व्यक्ति के साथ या कला के साथ? उसे अपने ऊपर पड़ रहे तमाम दबावों से कैसे निकलना चाहिए? एक कलाकार के भीतर कौन से संघर्ष चलते रहते हैं जिससे उसकी कला प्रभावित होती है? कला को रोकने वाली कौन सी बंदिशें है और उनसे कैसे पार पाना है? ऐसे कुछ सवालों पर गायन कला के माध्यम से नाट्य प्रस्तुति‘बंदिश 20 से 20,000 हर्ट्ज़’ अपना नजरिया प्रस्तुत करती है. प्रस्तुति में हिंदुस्तानी संगीत में पिछली डेढ़ सदी में हुए परिवर्तन, कलाकारों की स्थिति और भीतरी राजनीति के प्रश्न और बेचैनियां बहुत सूक्ष्मता से उभरते हैं. प्रस्तुति में अतीत के साथ समकालीनता की भी महीन बुनाई है.