'Economic Failure'

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  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार अगस्त 7, 2020 04:53 PM IST
    अर्थ तंत्र ने मुक्त मन संसार को कुछ ज़्यादा ही अधिग्रहीत कर लिया था. शिक्षा, फ़ीस और परीक्षा जैसे सवाल उचित ही जर्जर होकर ख़त्म हो गए. इनका कुछ होता तो नहीं है, अनावश्यक एक की चिंता दूसरे तक फैल जाती है. रोज़गार कारोबार तो वैसे ही बनते-बिगड़ते रहे हैं. अब इन सबका कवरेज बंद होना चाहिए. पत्रकारिता को इन प्रश्नों से दूरी बनाने की ज़रूरी है.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार अक्टूबर 8, 2019 04:59 PM IST
    भारतीय खाद्य निगम के चरमराने की ख़बरें आने लगी हैं. इसी के ज़रिए भारत सरकार किसानों से अनाज ख़रीदती है. सरकार उसके बदले में निगम को पैसे देती है जिसे हम सब्सिडी बिल के रूप में जानते हैं. 2016 तक तो भारतीय खाद्य निगम को सब्सिडी सरप्लस में मिलती थी. जितना चाहिए होता था उससे अधिक. लेकिन 2016-17 में जब उसे चाहिए था एक लाख 10 हज़ार करोड़ तो मिला 78000 करोड़. बाकी का 32,000 करोड़ नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (NSSF) से कर्ज़ लिया. जिस तरह से भारत सरकार रिज़र्व बैंक की बचत से पैसे लेने लगी है उसी तरह से निगम यह काम पहले से कर रहा था. जैसे-जैसे ज़रुरत पड़ी NSSF कर्ज़ लेने लगा. नतीजा 2016-17 का वित्त वर्ष समाप्त होते ही NSSF से लिया गया कर्ज़ा 70,000 करोड़ का हो गया.
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