Literature | Reported by: भाषा |रविवार जनवरी 1, 2017 11:02 AM IST ‘वक्त रुकता नहीं कहीं थमकर, इसकी आदत भी आदमी सी है.’ एक कविता की इन्हीं पंक्तियों की मानिंद पिछला साल बीत गया और छोड़ गया हमारे दामन में कुछ यादें, कुछ बातें, कुछ वादे और कुछ नये इरादे.