Blogs | सुशील कुमार महापात्र |शनिवार जून 22, 2019 03:33 PM IST 15 जून को पुरी के अलग-अलग गांव में जब मैं घूम रहा था, तब मैंने यह नहीं सोचा था कि लोग साइक्लोन फोनी के 45 दिनों के बाद भी संघर्ष कर रहे होंगे. भुवनेश्वर से करीब 120 किलोमीटर दूर मेरी गाड़ी जब कृष्ण-प्रसाद ब्लॉक के लिए निकली, तब मेरे मन में कई सवाल थे. मेरी गाड़ी जब धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई, सभी सवालों ks जवाब मिलते गए. रास्ते के चारों तरफ बिखरे हुए पेड़ और टूटे हुए मकान देखकर मैं समझ गया साइक्लोन फोनी कितना खतरनाक था.