Blogs | रवीश कुमार |बुधवार अक्टूबर 27, 2021 10:43 PM IST जब सर्वोच्च अदालत अपने फैसले में जॉर्ज ऑरवेल की रचना 1984 का ज़िक्र कर दे तो यह बात लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले किसी भी सरकार के लिए शर्मनाक समझा जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में जॉर्ज ऑरवेल का नाम होना ही उन तमाम आशंकाओं को वास्तविकता के करीब ले आता है, जिससे सरकार अनजान बने रहने का नाटक करती है. ऑरवेल का ज़िक्र होना आपातकाल से आगे फासवीदा की आहट का एक ऐसा संकेत है जिसे समझने की ज़िम्मेदारी अदालत ने आम जनता की समझ पर नहीं छोड़ी है बल्कि अपनी तरफ से कह दिया है कि आज का भारत कहां खड़ा है और इस भारत में आपके पीछे कौन दिन रात खड़ा है. बिग ब्रदर इज़ वॉचिंग यू. यह तो सुना होगा आपने. इसी 1984 से आया है जिसके रचनाकार का नाम जॉर्ज ऑरवेल है.