Blogs | रवीश कुमार |बुधवार अगस्त 29, 2018 02:13 PM IST उपरोक्त संदर्भ में चौकीदार कौन है, नाम लेने की ज़रूरत नहीं है. वर्ना छापे पड़ जाएंगे और ट्विटर पर ट्रोल करने लगेंगे कि कानून में विश्वास है तो केस जीत कर दिखाइये. जैसे भारत में फर्ज़ी केस ही नहीं बनता है और इंसाफ़ झट से मिल जाता है. आप लोग भी सावधान हो जाएं. आपके ख़िलाफ़ कुछ भी आरोप लगाया जा सकता है. अगर आप कुछ नहीं कर सकते हैं तो इतना तो कर दीजिए कि हिन्दी अख़बार लेना बंद कर दें या फिर ऐसा नहीं कर सकते तो हर महीने अलग अलग हिन्दी अख़बार लें, तभी पता चलेगा कि कैसे ये हिन्दी अख़बार सरकार की थमायी पर्ची को छाप कर ही आपसे महीने का 400-500 लूट रहे हैं. हिन्दी चैनलों का तो आप हाल जानते हैं. मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं. इसके लिए आपको 28 और 29 अगस्त के इंडियन एक्सप्रेस में ऋतिका चोपड़ा की ख़बर बांचनी होगी. आप सब इतना तो समझ ही सकते हैं कि इस तरह की ख़बर आपने अपने प्रिय हिन्दी अख़बार में कब देखी थी.