Blogs | अभिषेक शर्मा |शनिवार दिसम्बर 30, 2017 01:05 AM IST मुंबई के कमला मिल से जो लाशें उठी हैं, उन्हें देख आप सिहर जाएंगे. हो सकता है मुंबई के बीएमसी कमिश्नर भी सिहर पड़े हों या ये भी हो सकता है कि उनके लिये सिर्फ नंबर मायने रखते हों या फिर ये कि कौन मरा है. अदना हो या आला, नौजवान की अर्थी उठाना शायद दुनिया में दर्द का पहाड़ उठाने जैसा है. मौत कमला मिल में हुई हो या कुर्ला में, दर्द उतना ही था कमिश्नर साब. हमें दोनों हादसों के दर्द का अहसास है, लेकिन शायद आप मीडिया में बड़ी होती हेडलाइन के हिसाब से ड्यूटी बजाते हैं. वरना क्या वजह हुई कि इसी महीने किसी एक फरसाण की दुकान खाक होने पर आपने मुस्तैदी नहीं दिखाई. वहां भी लोग झुलस कर मरे थे.