Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार जनवरी 31, 2020 12:07 AM IST ज़रूरी है कि जो हुआ है उस पर शांत स्वर में बात की जाए. जिस तरह से शाहीन बाग़ को तेज़ी से शत्रु और गद्दार के रूप में चित्रित किया जाने लगा था वो उसी ज़हर का हिस्सा है जो कई महीनों से फैलाया जा रहा था. नेताओं के बयानों ने माहौल बनाया है कि ऐसा सोचा जाना ऐसा बोला जाना ग़लत नहीं है. जिस तरह से एक समुदाय विशेष को लेकर ज़हर उगल रहा है उसके असर में यह स्वाभाविक है कि कोई नौजवान उसकी चपेट में आ जाए.