Blogs | सर्वप्रिया सांगवान |बुधवार फ़रवरी 15, 2017 01:27 PM IST पिछले कुछ वक्त से नजर आ रहा है कि राजनीति में सुधारों के पैरोकार भी उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता के मामले में बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं. उनकी दलील होती है कि ये लोकतंत्र के खिलाफ है, संविधान के खिलाफ है. ये किसी गरीब, पिछड़े, दलित, आदिवासी के लिए नुकसानदायक होगा.