'Supreme court on adultery'

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  • File Facts | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार सितम्बर 27, 2018 01:55 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार कानून को रद्द कर दिया और अब से यह अपराध नहीं रहा. सुप्रीम कोर्ट की प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से व्यभिचार से संबंधित दंडात्मक प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए उसे मनमाना और महिलाओं की व्यक्तिकता को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए निरस्त किया. मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने कहा, "व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता. यह निजता का मामला है. पति, पत्नी का मालिक नहीं है. महिलाओं के साथ पुरूषों के समान ही व्यवहार किया जाना. इस मामले में हुई सुनवाई से संबंधित घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा.
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार सितम्बर 27, 2018 11:51 AM IST
    158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता  (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
  • File Facts | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: नवनीत मिश्र |गुरुवार सितम्बर 27, 2018 11:34 AM IST
    व्यभिचार कानून की वैधता (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी कानून महिला को उसकी गरिमा से विपरीत या भेदभाव करता है वो संविधान के कोप को आमंत्रित करता है.  ऐसे प्रावधान असंवैंधानिक है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ के सामने मसला उठा था कि आइपीसी की धारा 497  ध अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा- महिला का मास्टर नहीं होता है पति. जानिए दस बातें
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |गुरुवार सितम्बर 27, 2018 12:42 PM IST
    157 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता  (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)का फैसला गुरुवार को आएगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
  • India | आशीष भार्गव |गुरुवार सितम्बर 27, 2018 03:29 PM IST
    157 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता  (Supreme Court verdict on Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला गुरुवार को आएगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार सितम्बर 26, 2018 04:57 PM IST
    157 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला गुरुवार को आएगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार अगस्त 8, 2018 04:35 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार पर दंडात्मक कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है. इसका फैसला बाद में सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से जानना चाहा कि व्याभिचार संबंधी कानून से जनता की क्या भलाई है क्योंकि इसमें प्रावधान है कि यदि स्त्री के विवाहेत्तर संबंधों को उसके पति की सहमति हो तो यह अपराध नहीं होगा.
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