Blogs | सोमवार जनवरी 12, 2015 01:46 PM IST मैं विवेकानंद की इस बात से अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा - "यदि हर-एक मनुष्य का धार्मिक मत एक हो जाए और हर-एक, एक ही मार्ग का अवलम्बन करने लगे तो संसार के लिए वह बड़ा बुरा दिन होगा... तब तो सब धर्मों के सारे विचार नष्ट हो जाएंगे... वैभिन्य ही जीवन का मूलसूत्र है..."