India | Reported by: आशीष कुमार भार्गव |मंगलवार नवम्बर 24, 2020 06:22 PM IST दरअसल यह संपत्ति 1964 में मुआवजे को तय करके रक्षा उद्देश्यों के लिए केंद्र द्वारा ली गई थी. यह मामला दो बार कर्नाटक हाईकोर्ट में गया और अदालत ने हालांकि केंद्र के खिलाफ कहा कि सरकार के दावे की कोई योग्यता नहीं है,लेकिन मालिक को भूमि सौंपने से इनकार कर दिया क्योंकि ये जमीन केंद्र द्वारा रक्षा उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की रही थी.