Blogs | अजय सिंह |मंगलवार अप्रैल 21, 2020 05:02 PM IST दुनिया जब तक उस वायरस के खतरनाक मनसूबों और उसकी ताक़त को समझती तब तक वो चीन के वुहान शहर से चुपके से इटली पहुंच गया और फिर वहां से पूरे यूरोप को अपनी गिरफ्त में लेने लगा. देखते-देखते उसने इंसानो को न सिर्फ अपनी गिरफ्त में लिया बल्कि उनकी जान भी लेने लगा. हर तरफ उसकी ताक़त और पांव पसारने की क्षमता ने लोगों को असहाय कर दिया. ऐसे कहर और नज़र न आने वाले वायरस की कल्पना इक्कीसवीं सदी में चांद और मंगल गृह पर अपना झण्डा बुलंद करने वाले अत्याधुनिक वैज्ञानिकता से युक्त मानव की कल्पना में भी नहीं रहा होगा. और ये कल्पना भारत के उस प्राचीन नगर को भी नहीं थी, जहां गतिशीलता कभी रूकती नहीं जो अनादिकाल से अपने रस से शिव की त्रिशूल पर विराजमान हो कर सभी को सराबोर करती रही.