Blogs | मनीष शर्मा |सोमवार अगस्त 17, 2020 01:20 PM IST आखिर पुलिस विक्रम जोशी के मरने के बाद जागी नहीं, जगाई गई. और फिर वही पुराना रटा-रटाया लीपापोती का बहुत ही घटिया और बासी हो चुका फॉर्मूला, चौकी इंचार्ज, एसओ या सीओ का निलंबन, परिवार को कुछ आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी. लीपापोती का एक बेहतरीन तरीका. क्या इससे परिवार के नुकसान की भरपायी हो जाएगी? क्या इससे उन दस और छह साल की बेटियों के आगे से ताउम्र उनके पिता की हत्या की तस्वीरें मिट पाएंगी? क्या ये बेटियां इस घटना से उबर पाएंगी? पुलिस की क्या छवि बनेगी इन बेटियों की नजरों में?