India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |बुधवार जनवरी 2, 2019 03:37 AM IST उन्होंने कहा कि यह विडम्बना है कि हमारे देश में पुरुषों और महिलाओं को शादी से पहले, विवाहत्तेर और यहां तक कि कई संबंध रखने की आजादी है. उन्होंने कहा कि धारा 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाना निजी और दीवानी मामलों में आजादी की एक मिसाल है. उन्होंने सवाल किया कि फिर क्यों एक मुस्लिम पुरूष को तलाक देने पर सजा दी जाए. ज़ोहरा ने कहा कि बोर्ड ने पहले भी कहा है और फिर से कहता है कि एक साथ तीन तलाक देना तलाक की मानक प्रक्रिया नहीं है और जो इस प्रथा का इस्तेमाल करेंगे उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.