Blogs | प्रियदर्शन |गुरुवार फ़रवरी 8, 2018 03:22 PM IST आज के राजनीतिक-सामाजिक माहौल में किसी नगर निगम से यह उम्मीद करना एक तरह का अन्याय है कि वह अपने लेखकों-कलाकारों या संस्कृतिकर्मियों को भी पहचानेगा. इस बात से क्या होता है कि महादेवी वर्मा हिन्दी लेखक भर नहीं, आधुनिक भारत की उन मनीषी महिलाओं में रही हैं, जिनका नाम कई पीढ़ियां गौरव से लेती रही हैं और इलाहाबाद वह शहर है, जिसे कभी भारत की साहित्यिक राजधानी माना जाता था. इलाहाबाद नगर निगम ने महादेवी वर्मा से उनके निधन के 30 साल बाद 44,000 रुपये का मकान कर मांगा है और खुद पेश होने को कहा है, वरना यह मकान ज़ब्त हो जाएगा.