Reviews | Written by: प्रशांत शिशौदिया, Edited by: अल्केश कुशवाहा |शुक्रवार मई 18, 2018 03:16 PM IST यशवंत अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारियां तो पूरी निभाता है लेकिन उसकी ज़िंदगी से परिवार के प्रति प्रेम कहीं ग़ायब हैं या यूं कहें कि उसे जताना नहीं आता और बतौर घर का मुखिया वो रूखा व सख़्त है जिसके चलते उसका घर टूटने लगता है.