Blogs | अनुराग द्वारी |शुक्रवार नवम्बर 15, 2019 01:44 PM IST मैंने तो सुना कि कैसे 1992 के दौर में आप भोपाल की सड़कों पर रात भर पहरा देते थे, हाल ही मैं जब दिग्विजय सिंह से प्रज्ञा तक को घोषणापत्र में गैस पीड़ितों को अनाथ छोड़ दिया गया था तो आपने निराशा जताई थी. अपने पुराने साथी और उनके बेटे जयवर्धन को पार्क की फिक्र बताते हुए मुझसे कहा था कि इसपर काम करना है.