Blogs | प्रभात उपाध्याय |गुरुवार फ़रवरी 21, 2019 01:38 PM IST बनारस की 'ऊसर भूमि' जीयनपुर से निकल नामवर सिंह (Namwar Singh) ने बीएचयू, सागर और जेएनयू में हिंदी साहित्य की जो पौध रोपी, उनमें से तमाम अब ख़ुद बरगद बन गए हैं. 93 साल...एक सदी में सिर्फ 7 बरस कम. पिछले दो ढाई महीनों को छोड़कर नामवर सिंह लगातार सक्रिय रहे और हिंदी की थाती संजोते-संवारते रहे. आखिरी घड़ी तक लगे रहे.