आंदोलनों का चिंतित करने वाला स्वरूप
Blogs | मंगलवार अप्रैल 10, 2018 10:01 AM IST
एक सभ्य समाज में संदिग्धता के लिए कोई जगह नहीं होती. फिर भी यदि कोई व्यक्ति विशेष संदिग्ध हो जाये, तो चलेगा. यदि कोई संस्था संदिग्ध हो जाये, तो एक बार वह भी ढक जायेगा. लेकिन यदि कोई जनान्दोलन, और वह भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में, संदिग्ध हो जाये, तो इसे चलाते रहना व्यवस्था के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक हो जाता है.
‘शीतयुद्ध‘ के नये संस्करण का आगाज
Blogs | बुधवार मार्च 28, 2018 04:33 PM IST
अमेरिका ने सन् 2016 में 'अमेरीका फर्स्ट' का नारा देने वाले ट्रम्प को अपना राष्ट्रपति चुनकर दुनिया को साफ-साफ बता दिया था कि ''विश्व का नेतृत्व करने में अब उसकी कोई रुचि नहीं रह गई है.''
शिक्षा का डिमोनेटाइजेशन होगा यह
Blogs | बुधवार मार्च 7, 2018 05:12 AM IST
इसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण उस समय मिला था, जब अजीत जोगी नवनिर्मित प्रदेश छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने इंजीनियरिंग और मेडिकल में जाने के लिए प्रवेश परीक्षाओं की व्यवस्था को हटा दिया था. ऐसा करते ही करोड़ों कमाने वाले कोचिंग संस्थानों के हाथ के तोते उड़ गए थे.
Blogs | सोमवार फ़रवरी 26, 2018 06:47 PM IST
मैं धर्मसंकट में हूं, जबर्दस्त धर्मसंकट में. मेरे शब्द मुझसे रुठ गए हैं. सदियों-सदियों से इनका प्रयोग कर-करके मेरे पूर्वजों ने इनके अर्थों में विस्तार किया है. उन्होंने इन्हें जीवन दिया है. मैं अब उनका हत्यारा बन रहा हूं.
खेलों के ज़रिये जुड़ते दो 'दुश्मन' देश
Blogs | मंगलवार फ़रवरी 20, 2018 02:59 PM IST
इतिहास का एक गंभीर विद्यार्थी होने के नाते अब मेरा इस तथ्य पर पूरा यकीन हो गया है कि समय की गति का स्वरूप सचमुच वृत्ताकार होता है, भले ही उसकी रेखाएं कुछ-कुछ तिरछी क्यों न हों. इसे ही सामान्य भाषा में कहा जाता है कि 'इतिहास स्वयं को दोहराता है...' हम अधिक लंबे दौर में न जाकर इतिहास के इस विलक्षण स्वरूप को पिछले तीन दशकों में ही चिह्नित कर सकते हैं.
दरकती दुनिया को बचाने की कवायद
Blogs | बुधवार जनवरी 31, 2018 05:36 PM IST
पिछले एक पखवाड़े के अंदर वर्तमान विश्व के स्वरूप को व्यक्त करने वाले इन तीन महत्वपूर्ण शब्दों पर गौर कीजिये. दिल्ली में आयोजित रायसीना संवाद में दुनियाभर के करीब 100 देशों से आये प्रतिनिधियों ने जिस मुख्य विषय पर परस्पर संवाद किया था, वह था ''विश्व में आ रहे 'विघटनकारी बदलावों' का प्रबंधन कैसे किया जाये.''
देश में दलित नेतृत्व की विडम्बना और दिशा
Blogs | गुरुवार जनवरी 18, 2018 09:14 PM IST
भूकम्प और ज्वालामुखियों ने कई सुन्दर और उपयोगी भू-आकृतियों को जन्म दिया है. लेकिन ऐसा होता बहुत कम है. देखा यह गया है कि आकृतियां बन तो जाती हैं, लेकिन बनी रह नहीं पातीं.
इतिहास के पंजों में फंसी कलाओं की गर्दन
Blogs | गुरुवार दिसम्बर 28, 2017 03:51 PM IST
'पद्मावती' फिल्म के बारे में अब केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने एक नया फैसला लिया है. बोर्ड ने इतिहासकारों की एक छः सदस्यीय समिति गठित की है, जो इस फिल्म के ऐतिहासिक तथ्यों की सत्यता का परीक्षण करेगी. समिति का गठन इसलिए किया गया है, क्योंकि फिल्मकार ने इसमें अंशतः ऐतिहासिक तथ्यों के होने की बात कही है.
रूस की क्रांति : एक छोटी-सी ज़िन्दगी की लंबी कहानी
Blogs | गुरुवार दिसम्बर 21, 2017 04:01 PM IST
आजकल तो लोग ही आराम से 82-83 साल तक जी लेते हैं, सो, ऐसे में यदि किसी दर्शन से जन्मी राजनैतिक व्यवस्था की उम्र भी लगभग इतनी ही हो, तो अफसोस की बात तो है ही... और सोचने की बात भी... 100 साल पहले 7 नवंबर को लेनिन के नेतृत्व में जो ऐतिहासिक और चामत्कारिक घटना रूस में घटी, उसने पूरी दुनिया को जोश से भर दिया था.
पद्मावती विवाद : कल्पना के घोड़े पर सवार शख्स की उसी घोड़े के खिलाफ जंग
Blogs | बुधवार नवम्बर 22, 2017 01:21 PM IST
'पद्मावती' फिल्म को लेकर फिलहाल जिस तरह का शोर-शराबा और चीख-चिल्लाहट मची हुई है, उस दौर में इस तरह की बातें करना अनर्गल प्रलाप से अधिक कुछ नहीं है, फिर भी मन है कि मानता नहीं. साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि जान-बूझकर इतिहास और तर्क की अनदेखी की जा रही है.
हिमाचल और गुजरात में किस करवट बैठेगा चुनावी ऊंट?
Blogs | गुरुवार नवम्बर 9, 2017 11:31 AM IST
प्रश्न यह उठता है कि क्या हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस बनी रहेगी और गुजरात में बीजेपी बेदखल हो जाएगी? फिलहाल इन दोनों प्रश्नों के जो उत्तर नजर आ रहे हैं, वह यह कि दोनों में से किसी के होने की संभावना नहीं है. 68 सीटों वाली हिमाचल की विधानसभा में कांग्रेस ने 2012 में 36 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. बीजेपी इससे 10 कम रही थी. कांग्रेस ने अपने 83 वर्षीय जिस नेता को अपने भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया है, वे इस बीच लगातार भ्रष्टाचार के मामलों में चर्चा में रहे हैं.
आखिर किसके लिए है यह ग्लोबलाइजेशन?
Blogs | शनिवार अक्टूबर 21, 2017 10:30 PM IST
फिलहाल जीडीपी, जीएसटी, तेजोमहल, पगलाया विकास, गुजरात चुनाव, गौरव यात्रा, बाबाओं के रोमांस आदि-आदि का शोर इतना अधिक है कि इस कोलाहल में भला भूखेपेट वाले मुंह से निकली आह और कराह की धीमी और करुण आवाज कहां सुनाई पड़ेगी.
राजनीति, नौकरशाही के बीच जारी 'धूप-छांव' के खेल से अवाम असमंजस में
Blogs | बुधवार अक्टूबर 11, 2017 02:24 PM IST
गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी GST में किए गए बदलावों के बारे में जवाब देते हुए एक न्यूज़ चैनल पर राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने एक सामान्य-सी लगने वाली बात कही थी, जिससे आज की सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर काफी रोशनी पड़ती है.
क्या आप महान गायक मोहम्मद रफी की मजार को जानते हैं? अगर नहीं तो ये बातें आपको चौंकाएंगी...
Blogs | बुधवार सितम्बर 27, 2017 11:55 AM IST
एक अच्छी-प्यारी सी ताजी खबर और हम भारतीयों के लिए काफी-कुछ चौंकाने वाली भी. खबर यह है कि ब्रिटेन की सरकार ने अपने यहां के दस पाउंड वाले नोट पर अपनी मशहूर लेखिका जेन आस्टिन की तस्वीर छापी है.
‘मकान’ में तब्दील होते ‘घर’..सावधान होने का वक्त आ गया
Blogs | शनिवार अगस्त 26, 2017 04:16 AM IST
एक ही घर में रहने वाले लोग जब अपने-अपने कमरों में कैद हो जाते हैं, तो घर मकान बनने लगता है. और जब वे ही लोग आंगन में इकट्ठे होकर आपस में बतिया रहे होते हैं, तो वही मकान घर में परिवर्तित होकर गुंजायमान हो उठता है.
Blogs | शुक्रवार अगस्त 18, 2017 05:57 PM IST
देश के प्रधानमंत्री का सीधे कलेक्टरों से बात करना, और वह भी 9 अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 75वीं वर्षगाँठ जैसे अत्यन्त महत्वपूर्ण अवसर पर, इन दोनों के गहरे प्रतीकात्मक अर्थ हैं.
'आम आदमी' एवं 'दलित' की नई राजनीतिक परिभाषा
Blogs | गुरुवार जुलाई 27, 2017 04:55 AM IST
और भ्रम फैलाने का सबसे अच्छा माध्यम यह है कि शब्दों के परंपरागत-संस्कारगत अर्थों को भ्रष्ट करके उनकी परिभाषायें बदल दी जायें. इस राजनीतिक औजार की सबसे अधिक जरूरत लोकतांत्रिक प्रणाली वाली व्यवस्था में पड़ती है, और भारत में फिलहाल यही प्रणाली काम कर रही है.
राजनीति के समक्ष खड़ी 'बेचारी' व्यवस्था
Blogs | सोमवार जुलाई 10, 2017 12:43 PM IST
34-वर्षीय महिला आईपीएस पूरे साहस के साथ बीजेपी के स्थानीय नेता का मुकाबला कर रही थी, जो बिना हेल्मेट पहने बाइक चलाते हुए पुलिस द्वारा पकड़ा गया था. यह न केवल बदलते हुए भारत की तस्वीर थी, बल्कि उससे कहीं ज्यादा बदलते हुए उस उत्तर प्रदेश की कानून और व्यवस्था की तस्वीर थी, जिसे पहले की सरकारों ने तथाकथित 'जंगलराज' में तब्दील कर दिया था.
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