Blogs | डॉ विजय अग्रवाल |सोमवार मई 15, 2017 03:41 PM IST ज़ाहिर है, जहां राजसत्ता के पास लोकचेतना की इतनी मजबूत, बड़ी और गहरी शक्ति हो, उसे क्यों अपने आपको किसी विधान का मोहताज बनना चाहिए. फिर भी यदि ऐसा किया जाता है, तो वह कहीं न कहीं राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमज़ोरी को व्यक्त करता है, चाहे इस कमज़ोरी का कारण कुछ भी हो...