Blogs | क्रांति संभव |रविवार मई 28, 2017 07:48 PM IST हिंदुस्तानी ग्राहक एक जूते का फीता भी ख़रीदते हैं तो सोसाइटी के वाचमैन से लेकर अपने फ़ैमिली डॉक्टर तक से सलाह ले लेते हैं कि कौन से ब्रांड का ख़रीदा जाए. कौन से मार्केट में पौने सात रुपए की छूट मिल सकती है. तो ऐसे में गाड़ियां तो बड़ी चीज़ हैं. लाखों का वारा न्यारा होता है. पहले के ज़माने में पीएफ़ का पूरा पैसा लग जाता था, आजकल बैंक का इंटरेस्ट रेट रहता है.