Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार मार्च 7, 2017 09:12 PM IST भारत में भाषण तो दिया जाता है कि इम्तहानों से घबराना नहीं है मगर सारा सिस्टम इसी तरह से बनाया जाता है कि न घबराने वाला बच्चा भी घबराया सा रहे. इम्तहान हमारी जीडीपी से भी ज़्यादा तनाव पैदा करते हैं. जिन इम्तहानों का जीवन में कोई मतलब नहीं होता है, वो न जाने कितने जीवन पर जानलेवा साबित हो रहे होंगे, हिसाब लगाना मुश्किल है. सीबीएसई ने फिर से दसवीं का इम्तहान शुरू कर दिये हैं. घरों में युद्ध सा माहौल रहता है.