Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार फ़रवरी 2, 2018 04:31 PM IST भारत के किसानों ने आज हिन्दी के अख़बार खोले होंगे तो धोखा मिला होगा. जिन अखबारों के लिए वे मेहनत की कमाई का डेढ़ सौ रुपया हर महीने देते हैं, उनमें से कम ही ने बताने का साहस किया होगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनसे झूठ बोला गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि रबी की फसल के दाम लागत का डेढ़ गुना किए जा चुके हैं. ख़रीफ़ के भी डेढ़ गुना दिए जाएंगे. शायद ही किसी अख़बार ने किसानों को बताया होगा कि इसके लिए सरकार ने अलग से कोई पैसा नहीं रखा है.