Literature | Written by: पूजा प्रसाद |सोमवार अप्रैल 3, 2017 02:36 PM IST साहित्यकार निर्मल वर्मा (Nirmal Verma) को पढ़ना ऐसे है मानो आपने उन्हें अपनी उंगली थमा दी है, जिसे पकड़कर वह आपको संवेदनाओं की सुदूर, गहराती दुनिया में लिए चले जा रहे हैं. न तो उंगली छुड़ा पाना आसान, न भाग कर लौट पाना. लेकिन कौन तो मूरख होगा जो निर्मल की लेखनी के दर्द और सुख के खूबसूरत मायाजाल से बाहर निकलना चाहेगा, उंगली झटककर लौटना चाहेगा! आज उनकी बात इसलिए क्योंकि आज 3 अप्रैल को उनका जन्मदिन है.