'Hindi sahitya'
- 13 न्यूज़ रिजल्ट्स Blogs | प्रियदर्शन |सोमवार नवम्बर 15, 2021 10:06 PM IST मन्नू भंडारी का उपन्यास 'आपका बंटी' मैंने लगभग छलछलाती आंखों से पढ़ा था. ये मेरे किशोर दिनों की बात है. मां-पिता के टकराव के बीच फंसे बंटी की कथा बहुत सारे लोगों को रुलाने वाली थी. बाद के वर्षों में कई बार यह पढ़ने को मिला कि इस उपन्यास ने कई घरों को टूटने से बचाया, दंपतियों के बीच के तलाक़ स्थगित कराए.
India | Edited by: राहुल चौहान |सोमवार नवम्बर 15, 2021 09:59 PM IST उनका उपन्यास आपका बंटी हिंदी में सबसे ज़्यादा बिकने वाले साहित्यिक उपन्यासों में रहा. महाभोज भी काफ़ी चर्चित हुआ. उनकी कहानी यही सच है पर बनी फिल्म 'रजनीगंधा' हिंदी की अविस्मरणीय फिल्मों में है.
Literature | Reported by: शहादत |रविवार अप्रैल 26, 2020 07:19 AM IST आज की हिंदी नई और आत्मविश्वास से भरी हुई दिखाई देती है. पहले अधिकतर लेखक हिंदी विभागों से निकलते थे, आज अलग-अलग पृष्ठभूमियों के लेखक बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. मुझे यह अधिक उत्साहवर्धक दिखता है कि आज हिंदी किताबों को पढ़ना शर्म की बात नहीं समझी जाती, हिंदी के लेखकों को बहुत जल्दी पहचान मिल जाती है. समाज के अलग अलग तबकों में हिंदी लेखकों को लेकर आकर्षण बढ़ गया है. यह देखकर अच्छा तो लगता ही है. लेकिन एक बात है कि अधिकतर लेखक आज बाज़ार को ध्यान में रखकर लिख रहे हैं, बिक्री के मानकों पर खरा उतरने के लिए लिख रहे हैं.
Literature | Reported by: भाषा, Edited by: शहादत |रविवार फ़रवरी 9, 2020 01:56 PM IST गिरिराज का जन्म आठ जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फररनगर में हुआ था. उनके पिता ज़मींदार थे. गिरिराज ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया. वह जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत रहे तथा दिसंबर 1975 से 1983 तक आईआईटी कानपुर में कुलसचिव पद की जिम्मेदारी संभाली. राष्ट्रपति द्वारा 23 मार्च 2007 में साहित्य और शिक्षा के लिए गिरिराज किशोर को पद्मश्री पुरस्कार से विभूषित किया गया.
Literature | Written by: शहादत |बुधवार जनवरी 1, 2020 02:25 AM IST साल भर किन किताबों की सोशल मीडिया पर चर्चा हुई, समीक्षाएं प्रकाशित हुई, लेकिन ज़ाहिर है कि हज़ारों किताबों में कुछ किताबों को ही चुना जा सकता था. इसलिए एक आधार यह भी रहा कि किताबें अलग-अलग विधाओं की हों, जैसे इस साल हिंदी में कम से कम चार जीवनियां ऐसी आई, जो हिंदी के लिए नई बात रही. इसलिए इस विधा को भी रेखांकित किया जाना ज़रूरी था.
Blogs | रवीश कुमार |शनिवार जनवरी 26, 2019 12:08 AM IST एक किताब होती तो आपके लिए भी आसान होता लेकिन जब कोई लेखक रचते-रचते संसार में से संसार खड़ा कर देता है तब उस लेखक के पाठक होने का काम भी मुश्किल हो जाता है. आप एक किताब पढ़ कर उसके बारे में नहीं जान सकते हैं. जो लेखक लिखते लिखते समाज में अपने लिए जगह बनाता है, अंत में उसी के लिए समाज में जगह नहीं बचती है.
Blogs | Written by: नरेंद्र सैनी |शुक्रवार जनवरी 25, 2019 11:55 AM IST हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
Blogs | प्रियदर्शन |गुरुवार जनवरी 17, 2019 04:15 PM IST नामवर सिंह अस्पताल में हैं. 92 बरस की उम्र में उन्हें सिर पर चोट लगी है. अगर प्रार्थना जैसी कोई चीज़ होती है तो हिंदी के संसार को उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए. हमारी पीढ़ी का दुर्भाग्य है कि हमने उन्हें उनके उत्तरार्द्ध में देखा- उस उम्र में जब उनकी तेजस्विता का सूर्य ढलान पर था.
Literature | ख़बर न्यूज़ डेस्क |सोमवार अगस्त 27, 2018 06:30 PM IST फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने साहित्य अकादमी को अपना 'बुक ऑफ द ईयर' प्रकाशन पुरस्कार प्रदान किया है. यह पुरस्कार साहित्य अकादमी के शीर्षक 'नागफनी वन का इतिहास' के लिए दिया गया है.
Literature | Reported by: IANS, Edited by: अनिता शर्मा |रविवार अगस्त 20, 2017 04:49 PM IST सादगी और सहजता के साथ स्पष्ट अभिव्यक्ति उनकी रचनाशीलता की विशेषता रही है. वे जितने अपनी धरती, लोक संस्कृति और परंपरा के जानकार थे, उतने ही शास्त्र के ज्ञाता भी थे.
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