Blogs | ऋचा जैन कालरा |शुक्रवार मई 26, 2017 12:08 PM IST रिश्ते सिकुड़ रहे हैं, इंसानी ज़रूरतें फैल रही हैं... इन ज़रूरतों को पूरा करने के बीच प्यार, संवेदना और सहानूभूति हाथ से फिसलते जा रहे हैं... सोशल मीडिया पर लाइक और इमोटिकॉन के बीच हम उन रिश्तों को सींचने में पीछे छूट गए हैं, जो मुश्किल के वक्त कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं... वैसे, देर तो हो चुकी है, लेकिन कहते हैं न - जब जागो, तभी सवेरा...