India | प्रियदर्शन |मंगलवार जून 12, 2018 12:14 PM IST मैं एक बेटी हूं. मैं एक दोस्त हूं. मैं एक प्रेयसी हूं. मैं एक छात्रा हूं. मैं एक बहन हूं. मैं एक भतीजी हूं. मैं एक पड़ोसी हूं. मैं एक कामगार हूं, जो हर रोज़ रेलवे में बने कैफे में लोगों को कॉफी सर्व करती है. ये सारे लोग, जो मुझसे ये रिश्ते रखते हैं, मेरी बिरादरी बनाते हैं और तुमने उनमें से हरेक पर हमला किया. तुमने उस सच्चाई को नापाक किया, जिसकी ये सब लोग नुमाइंदगी करते हैं और जिसके लिए मैं लड़ना कभी बंद नहीं करूंगी : कि दुनिया में अच्छे लोगों की तादाद बुरे लोगों से कई गुना ज़्यादा है.