India | Written by: मानस मिश्रा |बुधवार अगस्त 5, 2020 05:00 PM IST अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के साथ ही इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि देश में अब कुछ राजनीतिक पार्टियों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस सहित, सपा, बीएसपी राम नाम का जप जपने में पीछे नहीं दिखना चाहती हैं. सबसे बड़ी बात कांग्रेस भी इस अब राम के नाम पर चूकना नहीं चाहती है. राम मंदिर आंदोलन ने जहां बीजेपी को सबसे बड़ा दल बनाया तो कांग्रेस दूसरी ओर रसातल में जाती दिखाई दी. दरअसल इसके पीछे कांग्रेस का कन्फ्यूजन भी बड़ी वजह थी. लेकिन यहां एक बार और ध्यान देने की है कि जब अयोध्या में साल 1986 में उस समय मंदिर का ताला खोला गया तो केंद्र में राजीव गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की ही सरकार थी. इसके बाद 6 दिसंबर 1992 की घटना के समय भी केंद्र में पीवी नरसिम्हाराव की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार थी. लेकिन इन दो घटनाओं के बीच कांग्रेस हमेशा दोराहे पर खड़ी नजर आई. इसका नतीजा ये हुआ है कि बीजेपी के अलावा उत्तर प्रदेश में सपा और बीएसपी जैसी पार्टियों का उभार हुआ और कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई.