'Jainendra kumar'

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  • Literature | इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस |सोमवार जनवरी 2, 2017 01:45 PM IST
    हिंदी साहित्य में प्रेमचंद के साहित्य की सामाजिकता के बाद व्यक्ति के 'निजत्व' की कमी खलने लगी थी, जिसे जैनेंद्र ने पूरी की. इसलिए उन्हें मनोविश्लेषणात्मक परंपरा का प्रवर्तक माना जाता है. वह हिंदी गद्य में 'प्रयोगवाद' के जनक भी थे. जैनेंद्र का जन्म 2 जनवरी, 1905 को अलीगढ़ के कौड़ियागंज गांव में हुआ था.
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