Blogs | रवीश कुमार |शनिवार नवम्बर 17, 2018 12:17 AM IST आज कल हर दिन कोई न कोई दिवस यानी डे आ जाता है. एक डे जाता नहीं कि दूसरा डे आ जाता है. हर डे की अपनी प्रतिज्ञा होती है और न भूलने की कसमें होती हैं, मगर ये उसी दिन तक के लिए वैलिड होती है. अगले दिन दूसरा डे आता है, पोस्टर बैनर सब बदल जाता है. नए सिरे से प्रतिज्ञा लेनी पड़ती है कि हम इनके आदर्शों को नहीं भूलेंगे. भूल जाते हैं कि पिछले दिन ऐसी ही एक प्रतिज्ञा ले चुके हैं.