Blogs | अखिलेश शर्मा |सोमवार मई 28, 2018 08:32 PM IST हमारे नेताओं को जनता की याददाश्त पर अटूट विश्वास होता है. वे मान कर चलते हैं कि जनता की याददाश्त बेहद कमज़ोर होती है इसलिए वह न तो चुनाव के दौरान किए गए वादों को याद रख पाती है और न ही विरोधियों पर लगाए गए आरोपों को. इसीलिए चुनाव के वक़्त चाहे तो आप जेब से पर्ची निकाल कर किसी काल्पनिक स्विस बैंक खाते का ज़िक्र कर अपने विरोधी की प्रतिष्ठा को धूल में मिला कर राजनीतिक लाभ ले सकते हैं या फिर मंच पर नाटकीय अंदाज में अलमारी से कथित सबूतों की फाइल निकाल कर जनता के बीच लहरा सकते हैं.