'Labor law'
- 6 न्यूज़ रिजल्ट्स Business | Edited by: वंदना |सोमवार अक्टूबर 17, 2022 03:24 PM IST नए लेबर कोड में प्रस्तावित बदलाव से कर्मचारी के रिटायरमेंट फंड और ग्रेच्युटी की रकम में भी इजाफा होगा. पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के अनुसार, एक निजी कंपनी में एक कर्मचारी पांच साल की सर्विस के बाद ग्रेच्युटी लाभ का दावा करने के लिए पात्र है.
India | Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: नवीन कुमार |बुधवार अक्टूबर 28, 2020 04:53 PM IST भारतीय मजदूर संघ का आरोप है की सभी लेबर कोड बिल में बदलाव की जो मांग उन्होंने संसद की स्थाई समिति के सामने रखी थी, उसे सरकार ने नजरअंदाज कर दिया.
India | Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: तूलिका कुशवाहा |बुधवार मई 27, 2020 06:22 PM IST लॉकडाउन के दौरान श्रम सुधार और श्रम कानूनों (Labor Laws) को कुछ राज्यों में स्थगित करने पर विवाद उठ रहा है. अब ये मामला संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एजेंसी इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन यानी ILO (International Labor Organization) के कोर्ट में पहुंच गया है.
India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |गुरुवार मई 14, 2020 08:51 PM IST Lockdown: विदेशी निवेशकों को भारत लाने के मकसद से श्रम कानून में हुए बदलाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है. झारखंड के सोशल एक्टिविस्ट पंकज कुमार यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों में श्रमिकों के कानून को कमजोर और शिथिल बनाने का अध्यादेश जारी हुआ है. श्रम कानून में संशोधन तीन महीने से लेकर तीन वर्षों तक के लिए अलग अलग राज्यों में किया गया है.
Uttar Pradesh | Reported by: भाषा |शनिवार मई 9, 2020 06:39 PM IST उन्होंने कहा, ‘इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित है?' बसपा नेता ने कहा, ‘देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिए, जिससे खासकर कारखानों/निजी संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए वहीं ठहरने आदि की व्यवस्था हो. किसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो. ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिए.’
Delhi-NCR | Reported by: मोहम्मद अतहरुद्दीन मुन्ने भारती |शुक्रवार जनवरी 4, 2019 03:53 PM IST दिल्ली सरकार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 कानून और दिल्ली के अन्य सभी श्रम कानूनों को लागू करने में पूरी तरह से विफल है, जो दिल्ली के 65 लाख श्रमिकों को उनके मूल वैधानिक अधिकारों से वंचित करते हैं. श्रमिक दयनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं.
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