Literature | Reported by: IANS |गुरुवार जुलाई 20, 2017 05:45 PM IST लाहिड़ी के अनुसार, भारत में घरेलू नौकरों के लिए न्याय हासिल कर पाना बेहद मुश्किल है. पुस्तक में लाहिड़ी ने बतौर घरेलू नौकर अपने खुद के अनुभव को भी बयां किया है. इसके अलावा पुस्तक में उनका साक्षात्कार भी है.