Blogs | रवीश रंजन शुक्ला |सोमवार नवम्बर 26, 2018 05:08 PM IST ग्वालियर से अब भरतपुर की ओर जा रहा हूं, हम ट्रेन या कार से दूसरे शहर जल्दी पहुंच जाते हैं लेकिन यादें शायद उतनी तेज नहीं होती हैं. अब तक जितना सोचा और जाना है यही पाया कि ग्वालियर और सिंधिया राजघराना आपस में इतने गुंथे हैं कि इन्हें अलग-अलग नजरिए से देखना मुश्किल है.