Uttar Pradesh | Written by: अजय सिंह |रविवार अप्रैल 14, 2019 12:12 AM IST सती के वियोग में कभी भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था. और उस वक्त यहां सती के कान की मणि गिरी थी. जिससे इसका नाम मणिकर्णिका घाट पड़ गया. इसी मणिकर्णिका घाट पर चैत्र नवरात्री के सप्तमी को नृतकियों के पांव के घुंघरू रात भर बजते और टूटकर बिखरते रहे. जिससे महाश्मशान में अपने परिजनों के मृत शरीर को लेकर पहुंचे लोगों के मन के विराग को इन घुंघरओं की झंकार जिन्दगी के राग भर रही थी.