Blogs | मिहिर गौतम |गुरुवार मार्च 22, 2018 03:28 PM IST शायद ही कोई दिन ऐसा हो, जब अख़बार के पन्ने पलटें और बलात्कार से जुड़ी कोई ख़बर न हो... तीन साल पहले दिल्ली उस गुस्से की गवाह बनी, जो ज़रूरी था... पुलिस की लाठियों, डंडों से बेपरवाह युवा सुरक्षित देश मांग रहे थे... लेकिन हुआ क्या...? वह सब नहीं रुका, जिसकी उम्मीद सभी ने की थी...