Blogs | रवीश कुमार |सोमवार अप्रैल 15, 2019 04:22 PM IST 20-21 मार्च को होली है, मगर होली जैसी खबर आ गई है. भारत की राजनीति में जूते का इस्तेमाल कम ही हुआ है. जूते की साइज़ न बता पाने के लिए हम माफी मांगते हैं. किस ब्रांड का जूता था यह भी नहीं बताने के लिए हम माफी मांगते हैं. देखिए हम कितने अच्छे हैं. हमने कुछ नहीं किया फिर भी माफी मांग रहे हैं. संत कबीर नगर में जो घटा है वो कबीर की हर वाणी के खिलाफ घटा है. संत कबीर नगर की इस घटना में न तो कबीर जैसा कुछ था, न ही संत जैसा. कुछ था तो सिर्फ जूता था.