India | NDTVKhabar.com टीम |गुरुवार अगस्त 4, 2016 12:08 AM IST ऐसा समारोह मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था. महात्माजी के दर्शनों का यह प्रताप था, कि मुझ जैसा मरा आदमी भी चेत उठा. उसके दो ही चार दिन बाद मैंने अपनी बीस साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.