Blogs | अपूर्वानंद |मंगलवार सितम्बर 27, 2016 02:54 PM IST मुसलमानों और ईसाइयों के लिए इस राजनीति की सत्ता में एक-एक दिन रहने का मतलब जीने-मरने का सवाल है. उनकी इज़्ज़त की ज़िंदगी तो दूर की बात है. इस राजनीति को फासीवाद कहें या नहीं, इस पर अकादमिक विवाद होता रह सकता है, लेकिन भारत के मुसलमान और ईसाई उस विवाद के कहीं पहुंचने का इंतज़ार नहीं कर सकते.