Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार जून 7, 2019 01:23 AM IST क्या ऐसा हो सकता है कि कई सारी अज्ञात शक्तियां, देसी और विदेशी, एक पार्टी के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदती हैं. वह पार्टी उस बॉन्ड के पैसे से कुछ प्रभावशाली लोगों को ख़रीद लेती है और वो लोग उन वोटरों को जो दो से तीन हज़ार के नोट के लिए वोट बेचने के लिए तैयार बैठे हैं.