India | रवीश कुमार |मंगलवार सितम्बर 10, 2019 01:41 AM IST उन्होंने लिखा कि मनीला के लोगों ने इसे थोड़ा बेहतर और कलात्मक बना दिया है. आज भी यह जुगाड़ से ही बनती है. बहुत सस्ती है. पांच किमी के नौ पेसो लगते हैं.इस वक्त मनीला की पहचान है मगर यहां ट्रैफिक की समस्या विकराल हो चुकी है. आम लोग जीपनी का इस्तमाल करते हैं. जीप की जीपनी. ठेला और ठूंसा के चलने का अभ्यास और अनुभव भारतीयों का भी है. ऐसी गाड़ियाँ रेलगाड़ी से गुज़रते वक्त फाटक पर खड़ी मिलती हैं. तिकोने मुँह वाले विक्रम की याद आ गई.