'Section 377 verdict'

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  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार सितम्बर 27, 2018 11:51 AM IST
    158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता  (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार सितम्बर 6, 2018 04:43 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को समलैंगिकता (Homosexuality) को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा. चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एकमत से यह फ़ैसला सुनाया. करीब 55 मिनट में सुनाए इस फ़ैसले में धारा 377 (section 377) को रद्द कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को अतार्किक और मनमानी बताते हुए कहा कि LGBT समुदाय को भी समान अधिकार है. 
  • Zara Hatke | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार सितम्बर 6, 2018 02:15 PM IST
    समलैंगिकता (Homosexuality) को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 (Section 377) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया.
  • Zara Hatke | मोहित चतुर्वेदी |गुरुवार सितम्बर 6, 2018 12:18 PM IST
    समलैंगिकता (Homosexuality) को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 (Section 377) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया.
  • Breaking News | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार सितम्बर 6, 2018 11:54 PM IST
    समलैगिंकता को अपराध करार देने वाली भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, और समलैगिंकता को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया.
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