Blogs | Rakesh Kumar Malviya |सोमवार जनवरी 11, 2016 03:47 PM IST देश की शताब्दियों-राजधानियों में सफर करने वाले मुसाफिरों की तो 'डायपर' जैसी समस्या का भी फौरी हल मिल जाता है, लेकिन पैसेंजर गाड़ियों के मुसाफिर उसी फ़िज़ां में सड़ते रहेंगे, क्योंकि उनकी 'दाल-रोटी' किसी सोशल प्लेटफार्म पर मयस्सर नहीं होगी।