Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार सितम्बर 15, 2016 06:51 PM IST “आठवीं नौवीं में पढ़ता था, तब पंजाब के नवां शहर के गांव मूसापुर में कांशीराम जी की सभा हुई थी. उनकी बातों को सुनने के बाद मैं कांशीराम जी को पढ़ने समझने लगा. उन्हीं के ज़रिये जाना कि डॉक्टर का मतलब एक और होता है. हम तो बीमारियों के इलाज करने वाले को डाक्टर कहते थे लेकिन डाक्टर बाबा साहब अंबेडकर के बारे में तो मुझे कुछ पता ही नहीं था.'