Blogs | विराग गुप्ता |बुधवार जनवरी 16, 2019 05:11 PM IST भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना आंदोलन में लोकपाल को हर मर्ज़ की दवा बताया गया. 'सुशासन' और 'अच्छे दिन' के नाम पर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिल्ली की सत्ता हासिल कर ली, पर लोकपाल का कोई अता-पता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस और उसके बाद CBI में आधी रात को तख्तापलट की घटना के बाद संस्थाओं में आंतरिक संघर्ष बढ़ता जा रहा है. इन घटनाओं से भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था पर अनेक सवाल खड़े हो गए हैं.