'The ministry of utmost happiness'

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  • Blogs | हृदयेश जोशी |मंगलवार मई 23, 2017 04:10 PM IST
    अगर अरुंधती रॉय पहले जैसा लेखन करती रहतीं, तो शायद आज भारतीय मध्यवर्ग की आंखों का तारा होतीं, लेकिन बुकर के बाद उन्होंने एक ऐसा लेख लिख दिया, जिससे उनके बारे में कई लोगों की धारणा बदल गई. अब अरुंधती प्रवाहमयी भाषा और शब्दों के जादू की साम्राज्ञी नहीं रहीं, तिरंगे और देश की संप्रुभता को ललकारने वाले लेखक बन गईं.
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